Hindi Poetry Pedia
Friday, July 19, 2019
निदा फ़ाज़ली: बूढ़ा
हर माँ अपनी कोख से
अपना शौहर ही पैदा करती है
मैं भी जब
अपने कंधों पर
बूढ़े मलबे को ढो ढो कर
थक जाऊँगा
अपनी महबूबा के
कँवारे गर्भ में
छुप कर सो जाऊँगा
हर माँ अपनी कोख से
अपना शौहर ही पैदा करती है
No comments:
Post a Comment
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment